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स्थापना की आवश्यकता

स्वाधीनता प्राप्ति के पश्चात स्व की अनुभूति के आधार पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्षेत्र में 'स्व' के तंत्र की रचना अपेक्षित थी। यदि बालक के जीवन में स्वाभिमान, स्वदेश, स्वसंस्कृति व इतिहास की गौरवशाली परंपरा के प्रति अपनत्व का भाव जागृत करने का प्रयास किया जाता तो भावनात्मक एकता नागरिक का स्वभाव बन जाता तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में योग्य व्यक्ति का अभाव नहीं रहता। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात हमने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है राष्ट्र के निमित्त अनेक योजनाएं बनी है कल कारखाने स्थापित किए गए हैं किंतु भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा पद्धति न होने के कारण राष्ट्रीय चरित्र एवं नैतिकता के मापदंडों पर हमारा ह्रास हुआ है। यह भयावह सच है।


आज देश को ऐसे विद्यालयों की आवश्यकता है। जो छात्रों में निस्वार्थ देशभक्ति की भावना स्वत्व, सम्यक ज्ञान, आत्मनिर्भरता एवं तेजस्वी क्रियाशीलता आदि गुणों को भर सके। ये ही भावनात्मक एकता के स्थाई आधार बनेंगे भूमि का कण-कण अपवित्र हो जाएगा। व्यक्ति की श्रद्धा आस्था का रूप धारण कर उसकी कर्म शक्ति को प्रेरित कर उसमें देवत्व प्रकट कर सकेगी। यही राष्ट्र की चिरंजीवी शक्ति होगी। इन विचारों से प्रेरित होकर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान ने संपूर्ण भारतवर्ष में भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित एक नवीन शिक्षा पद्धति 'पंचपदी शिक्षा प्रणाली' से युक्त विद्यालयों को आरंभ किया है।

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